नवार्ण मंत्र – ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’
माँ दुर्गा शक्ति का स्वरुप हैं और दुर्गा पूजा इसी शक्ति की उपासना का त्यौहार है| शरद ऋतु के प्रारम्भ में ब्रह्माण्ड के ग्रह सक्रिय होते हैं और उनका प्रभाव विश्व के सभी प्राणिओं पर पड़ता है| ग्रहों का यह प्रभाव अच्छा व बुरा दोनों प्रकार का हो सकता है, और ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचने के लिए भी शारदीय नवरात्र मनाये जाते हैं और माँ दुर्गा की उपासना की जाती है|
* माँ दुर्गा दुखों का नाश करने वाली और शक्ति की देवी है। इसलिए नवरात्रि में जब उनकी पूजा आस्था, श्रद्धा से की जाती है तो उनकी नवों शक्तियां जागृत होकर नौ ग्रहों को नियंत्रित कर देती हैं। फलस्वरूप प्राणियों का कोई अनिष्ट नहीं हो पाता।
दुर्गा की इन नौ शक्तियों को जागृत करने के लिए दुर्गा के ‘नवार्ण मंत्र’ का जाप किया जाता है। नव का अर्थ नौ तथा अर्ण का अर्थ अक्षर होता है। अतः नवार्ण नौ अक्षरों वाला मंत्र है, नवार्ण मंत्र ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ है।
नौ अक्षरों वाले इस नवार्ण मंत्र के एक-एक अक्षर का संबंध दुर्गा की एक-एक शक्ति से है और उस एक-एक शक्ति का संबंध एक-एक ग्रह से है।
* नवार्ण मंत्र के नौ अक्षरों में पहला अक्षर ऐं है, जो सूर्य ग्रह को नियंत्रित करता है। ऐं का संबंध दुर्गा की पहली शक्ति शैल पुत्री से है, जिसकी उपासना ‘प्रथम नवरात्र’ को की जाती है।
* दूसरा अक्षर ह्रीं है, जो चंद्रमा ग्रह को नियंत्रित करता है। इसका संबंध दुर्गा की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी से है, जिसकी पूजा दूसरे नवरात्रि को होती है।
* तीसरा अक्षर क्लीं है, चौथा अक्षर चा, पांचवां अक्षर मुं, छठा अक्षर डा, सातवां अक्षर यै, आठवां अक्षर वि तथा नौवा अक्षर चै है। जो क्रमशः मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु तथा केतु ग्रहों को नियंत्रित करता है।
इन अक्षरों से संबंधित दुर्गा की शक्तियां क्रमशः चंद्रघंटा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी तथा सिद्धिदात्री हैं, जिनकी आराधना क्रमश : तीसरे, चौथे, पांचवें, छठे, सातवें, आठवें तथा नौवें नवरात्रि को की जाती है।
इस नवार्ण मंत्र के तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं तथा इसकी तीन देवियां महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती हैं, दुर्गा की यह नवों शक्तियां धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों की प्राप्ति में भी सहायक होती हैं।
नवार्ण मंत्र का जाप 108 दाने की माला पर कम से कम तीन बार अवश्य करना चाहिए। यद्यपि नवार्ण मंत्र नौ अक्षरों का ही है, परंतु विजयादशमी की महत्ता को ध्यान में रखते हुए, इस मंत्र के पहले ॐ अक्षर जोड़कर इसे दशाक्षर मंत्र का रूप दुर्गा सप्तशती में दे दिया गया है, लेकिन इस एक अक्षर के जुड़ने से मंत्र के प्रभाव पर कोई असर नहीं पड़ता। वह नवार्ण मंत्र की तरह ही फलदायक होता है। अतः कोई चाहे, तो दशाक्षर मंत्र का जाप भी निष्ठा और श्रद्धा से कर सकता है।